Kya Khoob Lagti Ho
Mukesh, Kanchan
4:00यूँ नींद से वह जानऐ चमन जाग उठी है यूँ नींद से वह जानऐ चमन जाग उठी है परदेस में फिर यादऐ वतं जाग उठी है यूँ नींद से जानऐ चमन फिर याद हमें अयें हैं सावन के वह झूले फिर याद हमें ायें हैं सावन के वह झूले वह भूल गए हमको उन्हें हम नहीं भूले उन्हें हम नहीं भूले इस दर्द के काँटों की चुभन जाग उठी है परदेस में फिर यादऐ वतं जाग उठी है इस शहर से अच्छा था बहोत अपना वह गाँव इस शहर से अच्छा था बहोत अपना वह गाँव पनघट है यहाँ कोई न पीपल की वह छाँव पीपल की वह छाँव पच्छिम में वह पूरब की पावन जाग उठी है परदेस में फिर यादऐ वतं जाग उठी है यूँ नींद से वह जानऐ चमन हम लोग सयाने सही दीवाने है लेकिन बेगाने बहुत अच्छे है बेगाने है लेकिन बेगाने है लेकिन बेगानो में अपने की लगन जाग उठी है परदेस में फिर यादऐ वतं जाग उठी है यूँ नींद से वह जानऐ चमन जाग उठी है