Faiz Ahmed Faiz'S Ghazal (Dono Jahan Teri Mahobbat Me Haar Ke) (Feat. Silent Lyricist & Faiz Ahmad Faiz)

Faiz Ahmed Faiz'S Ghazal (Dono Jahan Teri Mahobbat Me Haar Ke) (Feat. Silent Lyricist & Faiz Ahmad Faiz)

Anil Jeengar

Длительность: 5:43
Год: 2025
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Текст песни

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं
आ आ आ आ
वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन
आ आ आ आ
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन
देखे हैं हम ने हौसले परवर दिगार के
देखे हैं हम ने हौसले परवर दिगार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
आ आ आ
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
आ आ
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'
आ आ आ आ
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'
मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के