Bhartiya Ghatnecha
Anilkumar Khobragade
4:46बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी घबराए जब मन अनमोल ओ ओ हृदय हो उठे डाँवाडोल ओ ओ घबराए जब मन अनमोल और हृदय हो डाँवाडोल तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी जब अशांति का राग उठे लाल लहू का फाग उठे हिंसा की वो आग उठे मानव में पशु जाग उठे ऊपर से मुस्काते नर भीतर ज़हर रहें हों घोल तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी जब दुनिया से प्यार उठे जब दुनिया से प्यार उठे नफ़रत की दीवार उठे माँ कि ममता पर जिस दिन बेटे की तलवार उठे धरती की काया काँपे अंबर जगमग उठे बोल तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी दूर किया जिस ने जन मन के व्याकुल मन का अंधियारा जिसकी एक किरण को छूकर चमक उठा ये जग सारा दीप सत्य का सदा जले दया अहिंसा सदा फले सुख शांति की छाया में जन गन मन का पेड पले भारत मैं भगवान बुद्ध का गूंजे घर घर मंत्र अमोल तब मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी हे मानव तू मुख से बोल बुद्धम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी बुद्धम सरणम गच्छामी धम्मम सरणम गच्छामी संघम सरणम गच्छामी