Mahalaxmi Mantra
Anuradha Paudwal
जय जय जय मां कालिका, जग जननी महामाया धन्य भक्त मैया तेरा, जिसने तुमको पाया भक्तों की ममतामयि मां, दुष्टों की तू काल तेरे चरणों के नीचे, लेटे हैं महाकाल दक्षिणेश्वरी रणचंडी, चामुंडा महामाया रूप तुम्हारा देख कर, काल भी है घबराया कल्याणी है कालिका, भयंकरी भय हारी वंदन करते ऋषि मुनि, देव असुर नर नारी भद्रकाली के नाम से, सारे संकट भागे जन्म मरण से मुक्ति मिले ,मन में भक्ति जागे जब जब होता धरती पर भारी अत्याचार हाथ खड़ग खप्पर लिए मां लेती है अवतार मां शमशान निवासिनी, चिता है जिनका आसन तीन लोक ब्रह्मांड में, महाकाली का शासन प्रलयकाल के अंधियारे में काली मां का वास उनकी कृपा से लेता है, हर एक प्राणी सांस तीन नेत्र और चार भुजाएं, बिखरे बाल और घनी जटाएं मुंड खड़ग खप्पर हैं हाथ में, चौसठ योगिनी रहे साथ में मुंडमाल कानों में कुंडल, हाथों में है रक्त कमंडल लाल लाल है जीभ निकाली, करें गर्जना हंसती काली नेत्र अग्नि से हैं विकराला, रूप प्रचंड है काला काला मुख से निकले उनके ज्वाला, महाकाली का रूप निराला दस महाविद्याओं की रानी, भद्रकालिका सब सुख दानी जब टूटे भक्तों की आशा, मां करती दुखों का नाशा भैरवी छिन्नमस्ता माई, काली कंकाली बन आईं तारा चंडी जिनके रूपा, कालरात्रि विकराल स्वरूपा महाकाली आरंभ है, महाकाली ही अंत कण कण में रहनी वाली, मां के रूप अनंत असुर विनाश करें धरती पर, दुर्गा आईं सिंह पे चढ़कर रक्तबीज ने उधम मचाया, मां ने काली रूप रचाया रण भूमि में काली आई, रक्त बीज की बलि चढ़ाई रक्त पान कर गईं मां सारा, असुर दलों को युद्ध में मारा रूप भयंकर बना लिया जब, करती तांडव रक्त पिए तब शिवशंकर चरणों में आए, क्रोध काली का शांत कराए हुआ गर्व जब चन्ड मुंड को, ललकारे रण में काली को चामुंडा ने खड़ग चलाये, दोनों के सिर काट गिराए दारुक नामक असुर भयंकर, जिसके डर से कांपे सुर नर महाकाली ने मार गिराया, सारा जग उनसे थर्राया ज्वालामुखी बन गई तब माई, देव ऋषि सब करें दुहाई शंकर बालक रूप में आए, माता की ममता को जगाए लाज रखो महाकालिके, रक्षा करो हमारी सत्य नाम एक मां तेरा, झूठी दुनिया सारी"