Om Jai Lakshmi Mata Aarti
Anuradha Paudwal
5:11तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी (तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी) मैं प्रसिद्ध पात की, मैं प्रसिद्ध पात की तू पाप पुंज हारी तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी (तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी) तू दयालु दींन मैं (तू दयालु दींन मैं) नाथ तू अनाथ को अनाथ कौन मो सो नाथ तू अनाथ को अनाथ कौन मो सो (आ आ) मो समान आरात नाही, मो समान आरात नाही आरती हर तू सू तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी (तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी) तू दयालु दींन मैं (तू दयालु दींन मैं) ब्रम्ह तू हो जीव मैं तू ठाकुर मैं चुरो ब्रम्ह तू हो जीव मैं तू ठाकुर मैं चुरो (आ आ) तात मात गुरु सखा तात मात गुरु सखा तू सब विधि तू मेरो तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी (तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी) तू दयालु दींन मैं (तू दयालु दींन मैं) तू ही मोहि नाथ अनेक मानी ये जो भावे तू ही मोहि नाते अनेक मानी ये जो भावे (तू ही मोहि नाते अनेक मानी ये जो भावे) ज्यो त्यो तुलसी कृपाल, ज्यो त्यो तुलसी कृपाल चरण शरण पावे तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी (तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी) मैं प्रसिद्ध पात की, मैं प्रसिद्ध पात की तू पाप पुंज हारी तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी (तू दयालु दींन मैं तू दानी मैं भिखारी) तू दयालु दींन मैं (तू दयालु दींन मैं)