Rooh Ka Rishta By Yasser Desai
Yasser Desai
4:42अनकही है जो बातें कहनी है तुमसे ही क्यूँ ये नज़रें मेरी ठहरी हैं तुमपे ही रूह का रिश्ता ये जुड़ गया जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे यह कैसे समझौं मैं तुझे माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही रूह का रिश्ता ये जुड़ गया जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे यह कैसे समझौं मैं तुझे माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही बेचैनियाँ अब बढ़ने लगी है सब्र रहा ना बेसब्री है आँच थोड़ी साँसों को दे दे मुश्क़िल में ये जान मेरी है बहता हूँ तुझमें मैं भी ना छुपा खुद से ही महकूँ खुशबू से जिसकी बन वो कस्तूरी रूह का रिश्ता ये जुड़ गया जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे यह कैसे समझौं मैं तुझे माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही जब से मिला हूँ तुझसे बस ना रहा है खुद पे बोलती आँखों ने जादू कर दिया बख़्श दे मुझे ख़ुदारा मैने जब उसे पुकारा हो गयी ख़ता तेरा नाम ले लिया साथ हो जो उम्र भर वो खुशी बन मेरी हर कमी मंज़ूर है बिन तेरे जीना नहीं रूह का रिश्ता ये जुड़ गया जहाँ तू मुड़ा मैं भी मुड़ गया रास्ता भी तू है मंज़िल भी तू ही हाँ तेरी ही ज़रूरत है मुझे यह कैसे समझौं मैं तुझे माँगता हूँ तुझे या तुझसे ही