Shiv Stuti
Sonika Sharma Agarwal
3:32ॐ हं हनुमते नमः ॐ हं हनुमते नमः ॐ हं हनुमते नमः ॐ हं हनुमते नमः जय हनुमन्त सन्त हितकारी सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी जन के काज विलम्ब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दीजै पाप कर्म की काली लंका राम दुलारे रख करो पार करो हे नाव दास की, और मेरी तुम आंख करो बात करो हे सुत पवन के 'गर कोई न बात करे बन सहारा रामदूत हे आज दास के साथ चलो महावीर तुम देख रहे, पाप पड़ा है धरती पर पश्चाताप का सोचे ना, यहां कोई भी गलती कर संकटमोचन हनुमान हे बात मेरी बस इतनी है आप ही बोलो नारायण को कब आओगे कल्कि बन? जनकसुता पतिदास कहावो ताकी शपथ विलम्ब न लावो जय जय जय धुनि होत अकाशा सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा जय हनुमन्त सन्त हितकारी सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी जन के काज विलम्ब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दीजै कन्या मारे गर्भाशय में, हत्यारों का सबको भय पैसा देकर सब कुछ तय है, पापों की है बनी सतह काम वासना में लिपटे, नशे भरे हैं हर सिर में वीर मारुति देखो कैसे पाप चले हैं भर कर ये थर थर कांपे धरा पाप से फिर भी तेरा न जापे दास हरी के क्योंकि उनको कष्टों में हो आप दिखे काली उन्हें भी खींचे राम दुलारे शाम सुबह पर तेरे भक्तों को रोज राम का नाम दिखे पूजा जप तप नेम अचारा नहिं जानत हौं दास तुम्हारा वन उपवन जल थल नभ माहीं तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं तुम्हरी छाया में हैं हम, प्रभु आप से विनती अब असुर भरे जो काले युग में करो सभी की गिनती कम देना हमको शीश यही, पापी आए लाखों में लाखों की गिनती में भी करें धर्म की वृद्धि हम तुम्हरी छाया में हैं हम, प्रभु आप से विनती अब असुर भरे जो काले युग में करो सभी की गिनती कम देना हमको शीश यही, बीते चाहे काल कई चारों ही युगों में, नाम राम का लिखे कलम जय हनुमन्त सन्त हितकारी सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी जन के काज विलम्ब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दीजै मनोवं मारुततुल्यवेगं मूर्तियं बुद्धिमतां वृद्ध वातात्मजं वानरयुथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये जय श्री राम जय हनुमन्त सन्त हितकारी सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी जन के काज विलम्ब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दीजै जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम