Ghar
Bharat Chauhan
5:06ये रात कभी ढलती ही नहीं तू भी यहां से चलती ही नहीं किस मिट्टी की है बता दे ज़रा तुझे मेरी कमी खलती ही नहीं तू होती तो क्या क्या होता तुझे मैं इश्क़ से ज्यादा इश्क़ करता तू वो ज़हर होती जिसे पीके में कभी ना मरता तू मेरे राज़ो की भी अनसुना राज़ होती तू होती तो इतनी खुशी होती की मुझसे खुशी दुखी होती मगर ये हो ना सका तेरे आंसू में रो ना सका क्या थी खबर क्या था पता खुदी को में दूंगा दगा तुझसे में वफा करता तू होती तो क्या क्या होता तुझे मैं इश्क़ से ज्यादा इश्क़ करता तू वो ज़हर होती जिसे पीके में कभी ना मरता तू मेरे राज़ो की भी अनसुना राज़ होती तू होती तो इतनी खुशी होती की मुझसे खुशी दुखी होती