Dil Dhundta Hai
Bhupinder Singh
5:59कैसे रूठे दिल को बहल्ौं कैसे इन ज़ख़्मो को सहलओन मितवा मितवा ना मैं जी पऔन ना मार पऔन कैसे रूठे दिल को बहल्ौं कैसे इन ज़ख़्मो को सहलओन मितवा मितवा ना मैं जी पऔन ना मार पऔन कैसे रूठे दिल को बहल्ौं मितवा मितवा आते जाते पल च्छुनके जाते हैं जाने इनसे कैसे नाते हो पहले तो लगे हैं ऐसी तन्हाई ऐसी गहरी थी ना गहराई हो चलते चलते कैसे थम गयी इतना बता दे ज़िंदगी ज़िंदगी ज़िंदगी किस के दर पे जाके सो जौन कैसे रूठे दिल को बहल्ौं कैसे इन ज़ख़्मो को सहलओन मितवा मितवा ना मैं जी पऔन ना मार पऔन कैसे रूठे दिल को बहल्ौं मितवा मितवा ऐसा भी तो हो मैं भी कुछ कहूँ होठों को दबाए क्यूँ रहूं पलकों के तले ख्वाबो का नगर जाने किस का हैं ये मुंतज़ार सांसो में है कैसी आग सी कल भी जल थी आज भी जल रही आग सी कैसे इन शोलो को संजौन कैसे रूठे दिल को बहल्ौं कैसे इन ज़ख़्मो को सहलओन मितवा मितवा ना मैं जी पऔन ना मार पऔन कैसे रूठे दिल को बहल्ौं मितवा मितवा मितवा मितवा मितवा मितवा मितवा मितवा