Hanuman Chalisa Superfast
Brijesh Shandilya
4:17॥ दोहा ॥ बंशी शोभित कर मधुर नील जल्द तनु श्यामल । अरुण अधर जनु बिम्बा फल नयन कमल अभिराम ॥ पुरनिंदु अरविंद मुख पितांबर शुभा साज्ल । जय मनमोहन मदन छवि कृष्णचंद्र महाराज ॥ ॥ चौपाई ॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन । जय वासुदेव देवकी नंदन ॥ जय यशोदा सुत नंद दुलारे । जय प्रभु भक्तन के रखवारे ॥ जय नट नागर नाग नथैया । कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ॥ पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो । आओ दीनन कष्ट निवारो ॥ बंसी मधुर अधर धरी तेरी । होवे पूरन मनोरथ मेरी ॥ आओ हरि पुनि माखन चाखो । आज लाज भक्तन की रखो ॥ गोल कपोल चिबुक अरुनारे । मृदुल मुस्कान मोहनी डारे ॥ रंजीत राजिव नयन विशाला । मोर मुकुट वैजयंती माला ॥ कुंडल श्रवण पीतपट आछे । कटी किंकिनी काछन काछे ॥ नील जलज सुंदर तनु सोहे । छवि लखी सुर नर मुनि मन मोहे ॥ मस्तक तिलक अलक घुंघराले । आओ श्याम बांसुरी वाले ॥ करि पी पान पुतनाहीं तारयो । अका बका कागा सुर मायरो ॥ मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला । भये शीतल, लखिताहीं नंदलाला ॥ सुरपति जब ब्रिज चढयो रिसाई । मूसर धार बारिश बरसाई ॥ लगत-लगत ब्रिज चाहं बहायो । गोवर्धन नखधारी बचायो ॥ लखी यशोदा मन भ्रम अधिकाई । मुख महँ चौदह भुवन दिखाई ॥ दुष्ट कन्स अति ऊधम मचायो । कोटि कमल कहाँ फूल मंगायो ॥ नाथी कालियहिं तब तुम लीन्हें । चरणचिंह दै निर्भय किन्हें ॥ करी गोपिन संग रास विलासा । सब की पूरण करी अभिलाषा ॥ केतिक महा असुर संहारयो । कंसहि केश पकड़ी दी मारियो ॥ माता-पिता की बंदी छुडाई । उग्रसेन कहाँ राज दिलाई ॥ माही से मृतक छहों सूत लायो । मातु देवकी शोक मिटायो ॥ भोमासुर मुर दैत्य संहारी । लाये शत्दश सहस कुमारी॥ दी भिन्हीं त्रिन्चीर संहारा । जरासिंधु राक्षस कहां मारा ॥ असुर वृकासुर आदिक मारयो । भक्तन के तब कष्ट निवारियो ॥ दीन सुदामा के दुःख तारयो । तंदुल तीन मुठी मुख डारयो ॥ प्रेम के साग विदुर घर मांगे । दुर्योधन के मेवा त्यागे ॥ लाखी प्रेम की महिमा भारी । नौमी श्याम दीनन हितकारी ॥ मारथ के पार्थ रथ हांके । लिए चक्र कर नहीं बल थाके ॥ निज गीता के ज्ञान सुनाये । भक्तन ह्रदय सुधा बरसाए ॥ मीरा थी ऐसी मतवाली । विष पी गई बजाकर ताली ॥ राणा भेजा सांप पिटारी । शालिग्राम बने बनवारी ॥ निज माया तुम विधिहीन दिखायो । उतरे संशय सकल मिटायो ॥ तव शत निंदा करी ततकाला । जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ॥ जबहीं द्रौपदी टेर लगाई । दीनानाथ लाज अब जाई ॥ अस अनाथ के नाथ कन्हैया । डूबत भंवर बचावत नैया ॥ सुन्दर दास आस उर धारी । दयादृष्टि कीजे बनवारी ॥ नाथ सकल मम कुमति निवारो । छमोबेग अपराध हमारो ॥ खोलो पट अब दर्शन दीजे । बोलो कृष्ण कन्हैया की जय ॥ ॥ दोहा ॥ यह चालीसा कृष्ण का पाठ करै उर धारी । अष्ट सिद्धि नव निद्धि फल लहे पदार्थ चारी ॥