Shayad
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4:54भारी होये इन आँखों की गहराइयाँ दबे होये इन होंतों की सरगोशियाँ यह कैसा सफ़र भर्कटि खामोशियाँ इसी तमन्ना में जागा हूँ अब में बना इंसान जो चाहूं अगर में बनूँ रोशनी जो चाहूं तो किस्मत लिख डालूं नयी अब में वो हिम्मत बनूँ तो रोको नहीं गिरते हुओं को जो थाम लून टोको नहीं में ही वो शमा बनूँ करे जो रोशनी इसी तमन्ना में जागा हूँ अब में बना इंसान जो चाहूं अगर में बनूँ रोशनी जो चाहूं तो किस्मत लिख डालूं नयी इसी तमन्ना में जागा हूँ अब में बना इंसान जो चाहूं अगर में बनूँ रोशनी जो चाहूं तो किस्मत लिख डालूं नयी