Shayad
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4:54इन रास्तों पे चल के इन आतीशों पे जल के कभी घिरे कभी बहे खवाबों के तूफान से गुज़र के परबातून के आसमान पर उतार के कभी घिरे कभी बहे यही पुकार है यही आग है यही पुकार है यही आग है तोडो इन ज़ंजीरों को इन ज़ंजीरों को छोड़ो इस आग को इश्स आग को इश्स बे हस्सी पे घिर के इश्स बे बस्सी पे घिर के कभी घिरे कभी बहे नफ़रातों के मकान से गुज़र के चाहतों के शहरा से गुज़र के कभी घिरे कभी बहे यही पुकार है यही आग है यही पुकार है यही आग है तोडो इन ज़ंजीरों को इन ज़ंजीरों को छोड़ो इस आग को इश्स आग को जलते रहें गे हम कब तक चलते रहाीन गे हम तब तक आज हम एक इंसान बनाते हैं नई रोषी नई मंज़िल पाते हैं यही आग है यही आग है यही आग है यही आग है