Laaree Chootee
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4:00रुक गये फिर मेरे क़दम इस सोच में पीछे जौ चोर आया हूँ वो भी थाई मेरे निकले जो इस हवस में यह कह पाएँ गई सब कुछ लुटाए जो अपने थाई मेरे रुक गये शरीक-ए-घाम भी है मेरा और तुम भी मेरे साथ क्यूँ फिर ना चले थाई तुम फिर मेरे निकले जौ इस हवस में यह कह पाएँ गई फासला तोड़ा और मंज़िल आगे मेरे अंधेरा बन कई उफ़ाक़ कई उजालों में ज़मीन की थकान को क्यूँ इस तरह छुपाऊँ में इक साया आ गया है इक साया रुक गया है इक साया अपने साथ लाई कर मुझे चल परा है अंधेरा बन कई उफ़ाक़ कई उजालों में ज़मीन की थकान को क्यूँ इस तरह छुपाऊँ में