Shayad
Call
4:54कभी दर्द भी मज़ा डाई यह घुटन अची लगे में खुद को ज़ख़्मी करना चाहता हूँ कभी गिरने की खुशी जलने की ख्वाहिश में इस हवस सई लरना चाहता हूँ मुझे अपना वुजूद चाहिए इन सोचों में हूँ घाम में कब सई कभी इतनी गर्मी कह रूह जल जाए में इश्स मौसम को सहना चाहता हूँ कभी खुद को तडपा कर खुद ही को रुलाऊं में इस रोने में हँसना चाहता हूँ मुझे अपना वुजूद चाहिए इन सोचो में हूँ घाम में कब से कौन हूँ में कौन हूँ में कौन हूँ कौन हूँ कौन हूँ में