Barse Badariya Sawan Ki
Devaki Pandit
6:22फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर महकी हवा फिर बहकी हवा फिर महकी हवा फिर बहकी हवा फूलो से मिली थी कोई किरण फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर भोर भाई फिर मौसम रस च्चालकने लगा फिर मौसम रस च्चालकने लगा फिर कालिया में रंग आने लगा फिर कोई काली बाल खाने लगी फिर कोयल वन में गाने लगी फिर गूंजा मेरे मान का अगन फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर भोर भाई फिर गीत हवा में घुलने लगे फिर गीत हवा में घुलने लगे फिर बोल सुरो में घुलने लगे फिर रागिनी मछली सांसो में फिर शहद घुला आवाज़ो में फिर झूम उठा ये नील गगन फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर महकी हवा फिर बहकी हवा फिर महकी हवा फिर बहकी हवा फूलो से मिली थी कोई किरण फिर भोर भाई जगा मधुबन फिर भोर भाई.