Irgendwann Bleib I Dann Dort
S.T.S.
3:21सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे जहाँ की रुत बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे नज़ारे अपनी मस्तियाँ दिखा-दिखा के सो गए सितारे अपनी रोशनी लुटा-लुटा के सो गए हर एक शम्मा जल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे तड़प रहे हैं हम यहाँ तड़प रहे हैं हम यहाँ तुम्हारे इंतज़ार में, तुम्हारे इंतज़ार में ख़िज़ाँ का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में ख़िज़ाँ का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में, मौसम-ए-बहार में हवा भी रुख़ बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे जहाँ की रुत बदल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे