Jane Kahan Mera Jigar Gaya Ji
Geeta Dutt & Mohammad Rafi
3:40न जाओ सैंया छुड़ा के बैंया क़सम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी रो पड़ूँगी मचल रहा है सुहाग मेरा जो तुम न हो तो मैं क्या करूँगी क्या करूँगी न जाओ सैंया छुड़ा के बैंया क़सम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी रो पड़ूँगी ये बिखरी ज़ुल्फ़ें ये खिलता कजरा ये महकी चुनरी ये मन की मदिरा ये बिखरी ज़ुल्फ़ें ये खिलता कजरा ये महकी चुनरी ये मन की मदिरा ये सब तुम्हारे लिये है प्रीतम मैं आज तुम को न जाने दूँगी जाने न दूँगी न जाओ सैंया छुड़ा के बैंया क़सम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी रो पड़ूँगी मैं तुम्हरी दासी जनम की प्यासी तुम्हिं हो मेरा श्रिंगार प्रीतम मैं तुम्हरी दासी जनम की प्यासी तुम्हिं हो मेरा श्रिंगार प्रीतम तुम्हारी रस्ते की धूल ले कर मैं माँग अपनी सदा भरूँगी सदा भरूँगी न जाओ सैंया छुड़ा के बैंया क़सम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी रो पड़ूँगी जो मुझ से अखियाँ चुरा रहे हो तो मेरी इतनी अरज भी सुन लो जो मुझ से अखियाँ चुरा रहे हो तो मेरी इतनी अरज भी सुन लो पिया ये मेरी अरज भी सुन लो तुम्हारी चरणों में आ गयी हूँ यहीं जियूँगी यहीं मरूँगी यहीं मरूँगी न जाओ सैंया