Singaar Ko Rehne Do
Gulzar,Shreya Ghoshal
7:03सुबह सुबह एक खवाब की दस्तक पर दरवाजा खोला देखा सरहद के उस पर से कुछ मेहमान आये हैं आँखों से मायूस थे सारे चेहरे सुने सुनाए पाओ धोये हाथ धुलाए आँगन में आसन लगाए और तंदूर पर मक्के के कुछ मोटे मोटे रोट पकाए पोटली में मेहमान मेरे पिछले सालो की फसल का गुड़ लाए आंख खुली तो देखा घर में कोई नहीं था हाथ लगाकर देखा तो तंदूर अभी भुजा नहीं था और होंठो पर मीठे गुड़ का ज़ायका अभी चिपका हुआ था खवाब था शायद खवाब ही होगा सरहद पर कल रात सुना है चली थी गोली सरहद पर कल रात सुना है कुछ खवाबो का खून हुआ है