Teri Kripa Ko Main Ne Paya
Hari Om Sharan
5:21निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान कोई ओढे संत सुजान रे कोई ओढे संत सुजान निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान कोई कोई विरला जतन सतावे या चुनरी पिय के मन भावे कोई कोई विरला जतन सतावे या चुनरी पिय के मन भावे कितने ओढ़ भए वैरागी, भए कई मस्तान निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान नाम की तार से बुनी चदरिया प्रेम भक्ती से रंगी चदरिया नाम की तार से बुनी चदरिया प्रेम भक्ती से रंगी चदरिया सतगुरु कृपा करे तो पावै, यहुवन मोलक दान निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान पोथी पढ़ी पढ़ी नैन गवावे सतगुरु नाथ शरण नही आवे पोथी पढ़ी पढ़ी नैन गवावे सतगुरु नाथ शरण नही आवे हरी नारायण निर्गुुण सगुण, सबही में पहचान निर्गुन रंगी चादरिया रे, कोई ओढे संत सुजान कोई ओढे संत सुजान रे कोई ओढे संत सुजान