Kaash

Kaash

Hariharan

Альбом: Kaash
Длительность: 6:24
Год: 2000
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Текст песни

काश ऐसा कोई मंज़र होता

काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता

काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

जमा करता हुआ जो मैं आये हुए संग
जमा करता हुआ जो मैं आये हुए संग
सर छुपाने के लिए घर होता
सर छुपाने के लिए घर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

इस पलंदी पे बहोत तनहा हूँ
तनहा हूँ
बहोत तनहा हूँ
तनहा... तनहा हूँ
इस पलंदी पे बहोत तनहा हूँ
काश मैं सब के बराबर होता
काश मैं सब के बराबर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
वरना एक और कलंदर होता
वरना एक और कलंदर होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता
काश