Telephone Manipol
A. R. Rahman
6:16टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली डिजिटल मे सुर है तराशा मडोना है या नताशा ज़ाकिर हुसैन तबला तू है क्या सोना सोना तेरा चमके रूप सलोना सोना सोना सेल्युलर फोन तुम तो हो ना कंप्यूटर को ले कर ब्रम्हा ने रचाया क्या टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली तुम ना होते तो धूप नही होती रिमझिम भी नही होती तुम ना होते तो चाँद नही होता सपना भी नही सजाता तुम को पुकारा साँसे खुश्बू फैला रही मेरी तुमसे बिच्छड़ा तो बहती हवाए बाद हो गयी क्यूँ पानी ना होता झरने ना होते ये वाडी ना होती मिलता ना तू तो मेरी जान नही होती ये प्यास नही होती गोरी नादिया अपने मे हर दिन मुझको डुबना तुम ना शरमाना ज़ुल्फो मे अपनी खुद को च्छूपा लेना टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली नाम तेरा किसी को लेने नही दूँगा वो सुख भी नही दूँगा गजरा तुम्हारा गिरने नही दूँगा मुरझाने नही दूँगा मेरे अलावा किसी औरत को ना पास बुलाना तुम ना कभी भी मदर टेरेसा को छ्चोड़ के नाम ना लेना तेरी गलियो में कोई मर्द ना छ्चोड़ूँगा औरत भी ना छ्चोड़ूँगा तेरी हँसी को उड़ने नही दूँगा मेरे दिल में बसा लूँगा शोरुम में साजन औरत की मूरत च्छुने ना दूँगी जीवन में प्रीतम तुम्हे प्यार की रेखा पर करने ना दूँगी टेलिफोन ढूँ में हँसने वाली मेल्बर्न मच्हली मचलने वाली डिजिटल में सुर है तराशा मडोना है या नताशा ज़ाकिर हुसैन तबला तू है क्या सोना सोना तेरा चमके रूप सलोना सोना सोना सेल्युलर फोन तुम तो हो ना कंप्यूटर को ले कर ब्रम्हा ने रचाया क्या