Maa Bhagwati
Jagirdar Rv
3:14युद्ध ज़रूरी आज पार्थ अब धर्म परीक्षा देनी है चाहे सामने तेरे अपने है पर रक्त की नदिया बहनी है कायर उतना ही पापी है जितने दोषी दुश्मन कौरव जो रण में रथ से उतर गये अन्याय को समझेंगे गौरव तुझे धर्म के ख़ातिर लड़ना है तुझे धर्म के ख़ातिर भिड़ना है अन्याय की चोटी ऊँची है पर तुझे शीर्ष पे चढ़ना है चल अर्जुन अब चल अर्जुन तू बाण चला तू बाण चला अधर्म पे धर्म की विजय सदा आज रण में तू दुनिया को बता चल अर्जुन अब चल अर्जुन तू बाण चला तू बाण चला अधर्म पे धर्म की विजय सदा आज रण में तू दुनिया को बता अपमान किया पांचाली का अपमान तुम्हारी पत्नी का क्या दृष्टि तुमने खो दी है दिखता ना चेहरा अधर्मी का क्या भूले द्रौपदी आहत को दुशासन के दुःसाहस को तुम्हें पाँच गाँव भी दिये नहीं संपूर्ण राज्य आधिकारक को इतिहास तुझे अब घड़ना है तू शौर्य रक्त का झरना है अन्याय की चोटी ऊँची है पर तुझे शीष पे चढ़ना है चल अर्जुन अब चल अर्जुन तू बाण चला तू बाण चला अधर्म पे धर्म की विजय सदा आज रण में तू दुनिया को बता चल अर्जुन अब चल अर्जुन तू बाण चला तू बाण चला अधर्म पे धर्म की विजय सदा आज रण में तू दुनिया को बता अर्जुन ओ पार्थ तुम सुनो मेरी बात जो सामने खड़े है सबने करी है घात देनी रण में उन्हें मात,तुम करो शुरुआत तुम उठाओ घनुष,बाण की करो बरसात चाहे गुरु द्रोण,पिता भीष्म या फिर भाई खड़ा लड़ना है तुम्हें ये कर्म पार्थ सबसे बड़ा आंसू को पुछू मीठी बातो का आधार नहीं स्वाभिमान से समझौता करना कभी भी स्वीकार नहीं उठ पार्थ, भर रण की हुंकार तो उठ पार्थ ,कर शत्रु पे प्रहार तो उठ पार्थ ,दे शत्रु को मात तो उठ पार्थ,आज रच इतिहास उठा धनुष और बाण सजा शत्रु का सीना चीर दे तू अर्जुन तू शिक्षा भूल नहीं रण लड़ने वाला वीर है तू चल अर्जुन अब चल अर्जुन तू बाण चला तू बाण चला अधर्म पे धर्म की विजय सदा आज रण में तू दुनिया को बता चल अर्जुन अब चल अर्जुन तू बाण चला तू बाण चला अधर्म पे धर्म की विजय सदा आज रण में तू दुनिया को बता