Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi
Jagjit Singh
5:20अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना पहले माज़ी का कोई ज़ख़्म तो भर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी कोई आँसू मेरे दामन पर बिखर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको सोचता हूँ के कहूँ तुझसे मगर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे