Baazeecha-E-Atfal Hai
Jagjit Singh
5:05हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन बहुत बे आबरू होकर तेरे कुउचे से हम निकले मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम कहीं ऐसा ना हो यान भी वही काफ़िर सनम निकले कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़ कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़ पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म ह ह ह ह ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म ह्म्म्म्मह ह ह ह ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म