Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi
Jagjit Singh
5:20कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे कभी दुनिया मुकम्मल बन के आएगी निगाहों में कभी दुनिया मुकम्मल बन के आएगी निगाहों में कभी मेरे कमी दुनिया की हर इक शै में पाओगे मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे कहीं पर भी रहें हम तुम मुहब्बत फिर मुहब्बत है कहीं पर भी रहें हम तुम मुहब्बत फिर मुहब्बत है तुम्हें हम याद आयेंगे हमें तुम याद आओगे तुम्हें हम याद आयेंगे हमें तुम याद आओगे कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे