Sab Kahan Kuchh Lala-O-Gul

Sab Kahan Kuchh Lala-O-Gul

Jagjit Singh

Длительность: 3:37
Год: 1989
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Текст песни

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं

यूँ ही अगर रोता रहा 'ग़ालिब' तो ऐ अहल-ए-जहाँ
देखना इन बस्तियों को तुम कि वीराँ हो गईं
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म