The Legend Of Hanuman - Hanuman Chalisa [From "The Legend Of Hanuman (Season 3)"]

The Legend Of Hanuman - Hanuman Chalisa [From "The Legend Of Hanuman (Season 3)"]

Kaala Bhairava, P V N S Rohit, Manoj Sharma, Arun Kaundinya, Hymath Mohammed, Lokeshwar, Ravi Prakash, And Sai Saket

Длительность: 6:46
Год: 2024
Скачать MP3

Текст песни

ॐ
राम राम जय राम राम जय राम राम जय राम राम
राम राम जय राम राम जय राम राम जय राम राम
राम राम जय राम राम जय राम राम जय राम राम

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन वरण विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥
शंकर सुवन केसरी नन्दन । तेज प्रताप महा जग वन्दन ॥
विद्यावान गुणी अति चतुर । राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । विकट रूप धरि लंक जरावा ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन वरण विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥

भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचन्द्र के काज संवारे ॥
लाए सजीवन लखन जियाए । श्री रघुवीर हरषि उर लाए ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥
सहस बदन तुम्हरो यश गावें । अस कहि श्रीपति कंठ लगावें ॥
संकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥
यम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते । कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन वरण विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥

युग सहस्र योजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही । जलधि लांघि गए अचरज नाही ॥
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरणा । तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपे । तीनों लोक हाँक ते काँपे ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवे । महाबीर जब नाम सुनावे ॥
नासे रोग हरे सब पीरा । जपत निरंतर हनुमंत बीरा ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन वरण विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥

संकट से हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै । सोइ अमित जीवन फल पावै ॥
चारों युग परताप तुम्हारा । है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्टसिद्धि नव निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै । जन्म जन्म के दुःख विसरावै ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन वरण विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥

अंत काल रघुवर पुर जाई । जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ॥
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटे मिटे सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो शत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महासुख होई ॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीश तिहुं लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन वरण विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥
राम राम जय राम राम जय राम राम जय राम राम
जय हनुमान जय हनुमान
राम राम जय राम राम जय राम राम जय राम राम