Fastest Jeen Mata Chalisa

Fastest Jeen Mata Chalisa

Kuldeep Shukla

Длительность: 3:12
Год: 2021
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Текст песни

श्री गुरुपद सुमिरण करूँ,  गौरीनंदन ध्याय ।
वरणऊ माता जीण यश , चरणों शीश नवाय ।।
झांकी की अद्भुत छवि , शोभा कही न जाय ।
जो नित सुमरे माय को , कष्ट दूर हो जाय ।।
जय श्री जीणभक्त सुखकारी।
नमो नमो भक्तन हितकारी ॥
दुर्गा की तुम हो अवतारा ।
सकल कष्ट तु मेट हमारा ॥
महाभयंकर तेज तुम्हारा।
महिषासुर सा दुष्ट संहारा ॥
कंचन छत्र शिष पर सोहे ।
देखत रूप चराचर मोहे॥
तुम क्षत्रीधर तनधर लिन्हां ।
भक्तों के सब कारज किन्हां ॥
महाशक्ति तुम सुन्दर बाला ।
डरपत भूत प्रेत जम काला ॥
ब्रहमा विष्णु शंकर ध्यावे ।
ऋषि मुनि कोई पार न पावे ॥
तुम गौरी तुम शारदा काली ।
रमा लक्ष्मी तुम कपपाली॥
जगदम्बा भवरों की रानी ।
मैया मात तू महाभवानी ॥
सत पर तजे जीण तुम गेहा ।
त्यागा सब से क्षण में नेहा ॥
महातपस्या करनी ठानी ।
हरष खास था भाई ज्ञानी ॥
पिछे से आकर समझाई ।
घर वापिस चल माँ की जाई॥
बहुत कही पर एक ना मानी ।
तब हरसा यूँ उचरी बानी ॥
मैं भी बाई घर नहीं जाऊँ ।
तेरे साथ राम गुण गाऊँ॥
अलग अलग तप स्थल किन्हां ।
रैन दिवस तप मैं चितदीन्हा ॥
तुम तप कर दुर्गात्व पाया ।
हरषनाथ भैरू बन छाया ॥
वाहन सिंह खडक कर चमके ।
महातेज बिजली सा दमके ॥
चक्र गदा त्रिशूल विराजे ।
भागे दुष्ट जब दुर्गा जागे ॥
मुगल बादशाह चढकर आया ।
सेना बहुत सजाकर लाया॥
भैरव का मंदिर तुड़वाया ।
फिर वो इस मंदिर पर धाया ॥
यह देख पुजारी घबराये ।
करी स्तुति मात जगाये॥
तब माता तु भौरें छोडे ।
सेना सहित भागे घोड़े ॥
बल का तेज देख घबराया ।
जा चरणों में शीश नवाया ॥
क्षमा याचना किन्हीं भारी ।
काट जीण मेरी सब बेमारी ॥
सोने का वो छत्र चढ़ाया ।
तेल सवामन और बंधाया ॥
चमक रही कलयुग में माई ।
तीन लोक में महिमा छाई॥
जो कोई तेरे मंदिर आवे ।
सच्चे मन से भोग लगावे॥
रोली वस्त्र कपूर चढ़ावे ।
मनवांछित पूर्ण फल पावे ॥
करे आरती भजन सुनावे ।
सो नर शोभा जग में पावे ॥
शेखा वाटी धाम तुम्हारा ।
सुन्दर शोभा नहीं सुम्हारा ॥
अश्विन मास नौराता माही ।
कई यात्री आवे जाही ॥
देश – देश से आवे रेला ।
चैत मास में लागे मेला ॥
आवे ऊँट कार बस लारी ।
भीड़ लगे मेला में भारी ॥
साज – बाज से करते गाना ।
कई मर्द और कई जनाना ॥
जात झडुला चढे अपारा ।
सवामणी का पाऊ न पारा ॥
मदिरा में रहती मतवाली ।
जय जगदम्बा जय महाकाली ॥
जो कोई तुम्हरे दर्शन पावे ।
मौज करे जुग – जुग सुख पावे ॥
तुम्ही हमारी पितु और माता ।
भक्ति शक्ति दो हे दाता ॥
जीण चालीसा जो कोई गावे ।
सो सत पाठ करे करवावे। ॥
मैया नैया पार लगावे ।
सेवक चरणों में चित् लावे ॥
जय दुर्गा जय अंबिका जग जननी गिरी राय ।
दया करो हे चंडिका विनऊ शीश नवाय ॥