Aarti Jai Ramayan Ji
Kumar Vishu
4:08ओम जय शिव ओंकारा भज जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा दो भुज चारु चतुर्भज दश भुज अति सोहें स्वामी दश भुज अति सोहें तीनों रूप निरखते तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा अक्षमाला वनमाला रुण्डमाला धारी हो शिव रुण्डमाला धारी त्रिपुरारी कंसारी त्रिपुरारी कंसारी करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें सनकादिक गरुड़ादिक सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा करमे श्रेष्ठ कमड़ंल चक्र त्रिशूल धरता हो भोले चक्र त्रिशूल धरता सुखकर्ता दुखहर्ता सुखकर्ता दुखहर्ता जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका प्रणवाक्षर के मध्य प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा त्रिगुणआरती शिव की जो कोई नर गावें स्वामी प्रेमसहित गावें केहत शिवानंद स्वामी केहत हरिहर स्वामी मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा ओम जय शिव ओंकारा भज जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा ओम जय शिव ओंकारा भज जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा ओम जय शिव ओंकारा भज जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ओम जय