Saari Duniya Chhod Ke
Lakhbir Singh Lakkha
7:19दिखा दो डगर रे कोई माँ का दर रे मन में है चाव दीदार का भूल गया हूँ मैं परदेसी हूँ मैं राही माँ के द्वार का बता दो कोई माँ के भवन की राह बता दो कोई माँ के भवन की राह मैं भटका हुआ डगर से एहसान करो रे एक मुझपे मैं भटका हुआ डगर से एहसान करो रे एक मुझपे बेटे को माँ से दो मिलाओ बता दो कोई माँ के भवन की राह बता दो कोई माँ के भवन की राह ओये भेज बुलावा माँ ने दर पे बुलाया नंगे पाँव मैं चल दर्शन को आया हम्म हम्म हम्म ओहो कठिन चढाई से भी ना घबराया मैं भूल हुई क्या ये समझ ना पाया भुला रस्ता ना संग सखा ऊपर से ये घनघोर घटा भुला रस्ता ना संग सखा ऊपर से ये घनघोर घटा मुझको रही है डरा बता दो कोई माँ के भवन की राह बता दो रे कोई माँ के भवन की राह दिखा दो रे कोई माँ के भवन की राह हो कर किरपा दुखो ने मुझको घेरा कुछ सूझे ना छाया हर और अँधेरा हम्म हम्म हम्म माना बदियो में लगा रहा मन मेरा माँ हूँ लाख बुरा पर माँ ये लख्खा तेरा माँ तेरे सिवा नहीं कोई मेरा फरियाद करूं मैं हाथ उठा ओ माँ तेरे सिवा नहीं कोई मेरा फरियाद करूं मैं हाथ उठा कर भी दो माफ गुनाह बता दो कोई माँ के भवन की राह बता दो रे कोई माँ के भवन की राह दिखा दो रे कोई माँ के भवन की राह कुछ सुनना है माँ तुमसे और कुछ कहना है बिना दरश के पल पल बरसे नैना है हम्म हम्म हम्म तेरे नाम के रंग में रंग के चोला पहना है माँ सरल सदा ही चरणों में अब रहना है जब दर पे लिया लख्खा को बुला कँवले की तरह माँ मत भटका हो जब दर पे लिया लख्खा को बुला कँवले की तरह माँ मत भटका दर्शन दिखाओ मेरी माँ बता दो कोई माँ के भवन की राह बता दो रे कोई माँ के भवन की राह मैं भटका हुआ डगर से एहसान करो एक मुझपे मैं भटका हुआ डगर से एहसान करो एक मुझपे बेटे को माँ से दो मिला, मिला बता दो कोई माँ के भवन की राह बता दो रे कोई माँ के भवन की राह बता दो रे कोई माँ के भवन की राह