Deh Shiva Var Mohe
Mahendra Kapoor
5:33बगावत का खुला पैगाम देता हूँ जवानों को अरे उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ उठो गागा की गोदी से उठे सतलुज के साहिल से उठो दक्खन के सीने से उठो बगाल के दिल से निकालो अपनी धरती से बिदेशी हुक्मरानों को उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ ख़िज़ाँ की क़ैद से उजड़ा चमन आज़ाद कराना है हमें अपनी ज़मी अपना वतन आज़ाद कराना है जो गद्दारी सिखाये खींच लो उनकी ज़बानो को उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ ये सौदागर जो इस धरती पे कब्ज़ा कर के बैठे है हमारे खून से अपने खजाने भर के बैठे है इन्हे कह दो के अब वापस करे सारे ख़ज़ानों को उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ जो इन खेतो का दाना दुश्मनो के काम आना है जो इन कानो का सोना अजनबी देशो को जाना है तो फूंको सारी फसलों को जला दो साड़ी कानो को उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ जय जननी जय भारत माँ बहुत झेली गुलामी की बलाये अब न झेलेंगे बहुत झेली गुलामी की बलाये अब न झेलेंगे चढेगे फांसियों पर गोलियों को हँस के झेलेगे चढेगे फांसियों पर गोलियों को हँस के झेलेगे उन्ही पर मोड़ देंगे उनकी तोपों के दहानो को उन्ही पर मोड़ देंगे उनकी तोपों के दहानो को उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को