Banjaara
Mohammed Irfan
5:37हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म उम् उम् उम् उम् उम् उम् जिसे ज़िंदगी ढूँढ रही है जिसे ज़िंदगी ढूँढ रही है क्या ये वो मक़ाम मेरा है या चैन से बस रुक जाऊँ, क्यूँ दिल ये मुझे कहता है जज़्बात नए से मिले हैं, जाने क्या असर ये हुआ है एक आस मिली फिर मुझ को, जो क़ुबूल किसी ने किया है किसी शायर की ग़ज़ल, जो दे रूह को सुकूँ के पल कोई मुझ को यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर नए मौसम की सहर, या सर्द में दोपहर कोई मुझ को यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर मुस्काता ये चेहरा देता है जो पहरा जाने छुपाता क्या दिल का समंदर औरों को तो हर दम साया देता है वो धूप में है खड़ा खुद मगर चोट लगी है उसे, फिर क्यूँ महसूस मुझे हो रहा? दिल तू बता दे क्या है इरादा तेरा Mmm, मैं परिंदा बेसबर, था उड़ा जो दर-ब-दर कोई मुझ को यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर नए मौसम की सहर, या सर्द में दोपहर कोई मुझ को यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर जैसे बंजारे को घर, जैसे बंजारे को घर, जैसे बंजारे को घर