Tumhari Zulf Ke Saye Mein
Mohammed Rafi
3:44कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं बेख़ुदी में भी करार आता नहीं कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ मैं कोई पत्थर नहीं इन्सान हूँ कैसे कह दूँ गम से घबराता नहीं कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं बेख़ुदी में भी करार आता नहीं कल तो सब थे, कारवाँ के साथ साथ कल तो सब थे, कारवाँ के साथ साथ आज कोई राह दिखलाता नहीं कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं बेख़ुदी में भी करार आता नहीं ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो ज़िन्दगी के आईने को तोड़ दो इस में अब कुछ भी नज़र आता नहीं कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं बेख़ुदी में भी करार आता नहीं कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं