Analaha
Muhūrta
6:10जीवन चक्र पृथ्वी आकाश रात दिन संकुचन विस्तार घूणा प्यार शोर मौन परदा स्त्य मृत्यु जीवन आंधेरा प्र्काश सूक्षम ज्गत से सथूल तक एक जीवन का चक्र है जड़ और चेतन का नृत्य पर दोनों कभी मिलते नहीं जब प्र्काश प्र्कट होता है सूरज सूरज सूरज तो अंधेरा लौत आता है चंद्रमा चंद्रमा चंद्रमा काला स्फ़ेद भारा खाली मामला सारहीन मात्रा गुणवत्ता ज्ल आग स्पना चेतना मृत्यु जीवन आंधेरा प्रकाश सूक्षम ज्गत से सथूल तक एक जीवन का चक्र है पूरक विरूद्ध जीवन चक्र में बहता है जब प्र्काश प्र्कट होता है सूरज सूरज सूरज तो अंधेरा लौत आता है चंद्रमा चंद्रमा चंद्रमा इस दुनिया में अपनी आंखें खोलों जीवन के चक्र से गुजरो इस दुनिया में अपनी आतमा को जगाओ जीवन के चक्र से गुजरो सच्ची आज़ादी कैसे पाएं ? जंजीरों को कैसे तोड़ें ? प्रकाश त्क कैसे पहूँचे ?