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Munawar Faruqui - Khamoshi | Скачать MP3 бесплатно
Khamoshi

Khamoshi

Munawar Faruqui

Альбом: Khamoshi
Длительность: 3:46
Год: 2022
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Текст песни

कुछ तो तू भी केहदे
खामोशी तेरी आती है तूफान लेके
कश्ती को किनारे दे
दुबादे  डूबा दे  या फिर तू मुझे तेरी पनाह मे लेके
जो लौटेगी तो इंतेज़ार देदे
रातें कट नही, दिन भी इंतेहाँ लेते
यह मेरे हाल ए दिल की तुझे ज़िम्मेदार कहते
यह बेख़बर, मे ज़िंदा हूँ तेरी ही आसरे पे
फसलों से यह मोहबत कभी कम ना होगी
लूटा दूं खुदको वादों पे तो फिर कसर क्या होगी
असर ना होगी, कोई दवा दे मुझ दीवाने पे
गवाह रातें तेरे बिन बिन जो अब बशर ना होगी

बारीशों में अब मे झूमूँ कैसे
बसा तू आँखों मे तो आँखों को मे चुमूं कैसे
हाथ काँपे मेरे छू लू कैसे
सबक जो सीखे तुझसे उनको अब मे भूलू कैसे

जलते हे आशिक़ जब जाके बनता है काजल तेरा
दिल यह दफ़न, कफ़न बना लिया हे आँचल तेरा
रोता है बदल रूठा बैठा मुझसे सावन मेरा
ज़ुल्फो को छूना चाहता फिरसे तेरी पागल कहरा
तू बहती नदी सी, हूँ रुका हुआ मैं
है तू मुककमल सी और टूटा हुआ मैं
ना तेरे आयेज कोई वजूद है मेरा
ख़ज़ाने सी है तू लूटा हुआ मैं
वो घूम भूलने को देते शराब खोल के
पर पीना तेरे हाथ से तू दे ज़हेर को घोल के
क्यूँ हिचकिया, क्यूँ यादें
क्यूँ चेहरा ना भूल पाते मुझे दे
नीज़त एसी मेरी रूह जिस्म को छोड़ दे
करवतों का, हिसाब करके बैठा
मैं राज़दार राज़ तेरे हूँ छुपा के रहता
ना ग़र्ज़ है मुझे किसी की परछाई की
मैं बाद तेरे खुद के सायों से जुदा हू रहता कुछ तो कह जा

कुछ तो तू भी केहदे
खामोशी तेरी आती है तूफान लेके
कश्ती को किनारे दे
डूबा दे या फिर तू मुझे तेरी पनाह मे लेके

जो लौटेगी तो इंतेज़ार देदे
रातें कटती नही दिन भी इंतहाँ लेते
यह मेरे हाल ए दिल की तुज़े ज़िम्मेदार कहते
यह बेख़बर में ज़िंदा हू तेरे ही आसरे पे
अब सीने में सासें कम आँखें नम माहौल उदासी का
लगाया गले बाहें तेरी बनी फंडा फासी का
मोहब्बत मेरी पाकीज़ा करदी तुझपे थी जान निसार
फिर दफ़न किया तूने खड़ी करके बीच में ये दीवार
दे दे दीदार में हू तरसा बैठा
में बंदा तेरा खुदा मुझसे अब ये परदा कैसा
मुनाफ़ा छोड़ मोहब्बतका मुझे कर्ज़ा देजा
में कर्ज़ा लेकेतुझसे तेरा ही हू सदका देता
हवाें जानती है सासें तेरे नाम की लौटेगा
तू ज़रूर तभी सासें अपनी थम ली चेहरा नूरानी
अफ्रीं है ती तुझसे आँख नही अंधेरा
चारो और ज़िंदगी में जो तू पास नही है
किताबों से बातें करू में
तेरा नाम लेके बदले में आते ना कुछ जवाब
लिखे वे पन्ने फिर फाड़ देते
आसान ना इश्क़ अब ये सब मेरी मिसल देते
दरियातू में डूबा तू आँखों में घूमे आग लेके
तू मेरे लफ़्ज़ों में बसी जैसे की शायरी
तू मेरी थी बस पहेले किसी महफ़िल में ना  गयी
पर अब तू है ज़माने की तो लिख के अब क्या फयदा
हर ज़ुबान पे तू तुझसे अब शुरू है मुशायरा
अब तेरे गल्लियों में ठिकाना कर लिया
पर तूने जाके यहा से गल्लियों को वीराना कर दिया है
आँखों से मोटी का ख़ज़ाना भर लिया
तुझे पैईमैने से दीवाने ने मैखना कर दिया है

कुछ तो तू भी केहदे
खामोशी तेरी आती हैतूफान लेके
कश्ती को किनारे दे
दूबड़े या फिर तू मूज़े तेरी पनाह में लेके

जो लोतेगी तोइंतेज़ार देदे
रातें कटती नही दिन भी इंतहाँलेते
यह मेरे हाल ए दिल की तुज़े ज़िम्मेदार कहते
यह बेख़बर में ज़िंदा हू तेरे ही आसरे पे