Pyaar?
Naam Sujal
3:26शहर से मैं दूर बैठा इस चेहरे पे नूर कैसा तभी दिल है मगरूर क्यूं है सेहरे पे खून शहर से मैं दूर क्यों शहर से मैं दूर बैठा इस चेहरे पे नूर कैसा तभी दिल है मगरूर क्यूं है सेहरे पे खून शहर से मैं दूर पर शहर से यूं दूर जाने किसने ही कहा था क्या सही में इन ख्वाबों का मोल है रिश्तों से भी ज्यादा भरोसे का कर्ज क्यूं कभी किस्तों में नहीं आता दूर दूर तक इस कलम से फरिश्तों का नहीं नाता क्योंकि कलम को नहीं आता कहना मैं हूं insecure कि मैं नहीं हूं वो chosen one हैं मुझसे बेहतर और कि मुझ में नहीं वो भूख जो जीता पाए इस दौड़ में कि मैं नहीं वो जो सोचे तू ले देख तो गौर से बस 1-2 मोहलतें थोड़े पैसे थोड़े नशे मेरे बड़े भाई भूल सपने खुश हो गए दिलासों पे वो देखे अपने ख्वाब मेरे काम के जरिए लघु चाह के कुछ कर नहीं सकता उनके इन हालातों पे पर करूं कोशिश के दूं अर्थ इस वजूद को अगर सही में करते प्यार हो तो सबूत दो कसूर देना कभी देखा नहीं पैदाइश में लकीरें देने वाला कभी हाथ नहीं देखता परस्स बाप को नहीं पड़ी है लकीरों की जो सुबह के 8 से लेकर रात के 1 तक करे काम काटे पेट भरे दाम और लेता अपने बेटे के लिए ख्वाब भी देख पर उसका बेटा नहीं कर पाया कभी बात ढंग से आंखें नहीं मिलाई ना ही खाया साथ में बैठ कर तो मेको बता मामा क्या जी के करूं सपनों को जब अपनों के साथ जी नहीं पाया एक पल दूर बैठा इस चेहरे पे नूर तभी दिल है मगरूर है सेहरे पे खून शहर से मैं दूर हां शहर से मैं दूर उस घर से मैं दूर पर मां बोले है सितारे तांक के लड़के ने खूब हां डर था गैरों का बस था डर पे महफूज थी कलम उठाई इन दर्दों का भार कर के महसूस और ये सरफिरा खून लेकर चल पड़ा ख्वाब लेता मशवरा ढूंढ न पाए सच कभी बोल चमके मकबरा खूब चाहिए मर्तबा ना ले पाएगा कष्ट तराजू काला मत कभी तोल कभी न लगा खुदा का ऐसा प्लान भी था मुझ को बन्ना था डॉक्टर ये सब प्लान बी था और जो रूठा जब ना रटा जाता tan theta आज वो मुस्कुरा के बोले बेटा साला मेहनती था मम्मी बाग I made it अब तू सारा दिन बस बैठ माँ की 12 महीने की तनख्वा मेरा 12 मिनट का सेट अब लूँ खुद को टैरेस पे बैठे तारे गिनता देख ले संभाल ये मिननतें क्योंकि मेरे अजूबे अजीब पर अज़ीज हैं ज़रा सबूत थे सही दे सलीके लड़ा कल्लियां थी कई थे बगीचे खराब भागूं अंधेरे के तरफ खुदा पीछे पड़ा ना ही ठहर पता हूं ना खुद पे रहम खाता हूं छोटे घर का बड़े लोगों के बीच सेहम जाता हूं जीत का वहम पाला क्यों मैं वैसा गायक ही नहीं हूं ऐसा लगे इतने प्यार के मैं लायक ही नहीं हूं मेरी जान खुद का ध्यान रख दिखेगी रोशनी बस कर तू अपनी आंख बंद बैठ रात भर या मेरा हाथ पकड़ बस ये छोटी उंगली पकड़ आके मेरे साथ चल हां शहर से मैं दूर बैठा इस चेहरे पे नूर कैसा तभी दिल है मगरूर क्यूं है सेहरे पे खून शहर से मैं दूर