Sheher Se Durr

Sheher Se Durr

Naam Sujal

Длительность: 3:38
Год: 2024
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Текст песни

शहर से मैं दूर बैठा
इस चेहरे पे नूर कैसा
तभी दिल है मगरूर क्यूं
है सेहरे पे खून
शहर से मैं दूर
क्यों शहर से मैं दूर बैठा
इस चेहरे पे नूर कैसा
तभी दिल है मगरूर क्यूं
है सेहरे पे खून
शहर से मैं दूर
पर शहर से यूं दूर
जाने किसने ही कहा था
क्या सही में इन ख्वाबों का मोल है
रिश्तों से भी ज्यादा
भरोसे का कर्ज क्यूं कभी किस्तों में नहीं आता
दूर दूर तक इस कलम से फरिश्तों का नहीं नाता
क्योंकि कलम को नहीं आता कहना
मैं हूं insecure
कि मैं नहीं हूं वो chosen one
हैं मुझसे बेहतर और
कि मुझ में नहीं वो भूख
जो जीता पाए इस दौड़ में
कि मैं नहीं वो जो सोचे तू ले देख तो गौर से
बस 1-2 मोहलतें
थोड़े पैसे थोड़े नशे
मेरे बड़े भाई भूल सपने
खुश हो गए दिलासों पे
वो देखे अपने ख्वाब मेरे काम के जरिए
लघु चाह के कुछ कर नहीं सकता
उनके इन हालातों पे पर
करूं कोशिश के दूं अर्थ इस वजूद को
अगर सही में करते प्यार हो तो सबूत दो
कसूर देना कभी देखा नहीं पैदाइश में
लकीरें देने वाला कभी हाथ नहीं देखता
परस्स बाप को नहीं पड़ी है लकीरों की
जो सुबह के 8 से लेकर रात के 1 तक
करे काम काटे पेट भरे दाम
और लेता अपने बेटे के लिए ख्वाब भी देख पर
उसका बेटा नहीं कर पाया कभी बात ढंग से
आंखें नहीं मिलाई
ना ही खाया साथ में बैठ कर
तो मेको बता मामा क्या जी के करूं सपनों को
जब अपनों के साथ जी नहीं पाया एक पल
दूर बैठा
इस चेहरे पे नूर
तभी दिल है मगरूर
है सेहरे पे खून
शहर से मैं दूर
हां शहर से मैं दूर
उस घर से मैं दूर
पर मां बोले है सितारे तांक के लड़के ने खूब
हां डर था गैरों का बस था डर पे महफूज
थी कलम उठाई इन दर्दों का भार कर के महसूस
और ये सरफिरा खून लेकर चल पड़ा ख्वाब
लेता मशवरा
ढूंढ न पाए सच कभी बोल
चमके मकबरा खूब चाहिए मर्तबा
ना ले पाएगा कष्ट तराजू काला मत कभी तोल
कभी न लगा खुदा का ऐसा प्लान भी था
मुझ को बन्ना था डॉक्टर ये सब प्लान बी था
और जो रूठा जब ना रटा जाता tan theta
आज वो मुस्कुरा के बोले बेटा साला मेहनती था
मम्मी बाग I made it
अब तू सारा दिन बस बैठ
माँ की 12 महीने की तनख्वा मेरा 12 मिनट का सेट
अब लूँ खुद को टैरेस पे बैठे तारे गिनता
देख ले संभाल ये मिननतें
क्योंकि
मेरे अजूबे अजीब पर अज़ीज हैं ज़रा
सबूत थे सही दे सलीके लड़ा
कल्लियां थी कई थे बगीचे खराब
भागूं अंधेरे के तरफ खुदा पीछे पड़ा
ना ही ठहर पता हूं
ना खुद पे रहम खाता हूं
छोटे घर का बड़े लोगों के बीच
सेहम जाता हूं
जीत का वहम पाला क्यों
मैं वैसा गायक ही नहीं हूं
ऐसा लगे इतने प्यार के मैं लायक ही नहीं हूं
मेरी जान खुद का ध्यान रख
दिखेगी रोशनी बस कर तू अपनी आंख बंद
बैठ रात भर या मेरा हाथ पकड़
बस ये छोटी उंगली पकड़ आके मेरे साथ चल
हां शहर से मैं दूर बैठा
इस चेहरे पे नूर कैसा
तभी दिल है मगरूर क्यूं
है सेहरे पे खून
शहर से मैं दूर