Dhara Kamar Raja Ji
Neelkamal Singh
3:48(रडुवा कहात बानी शादी के उमर में) (माल के चक्कर में) (माल के चक्कर में, माल के चक्कर में) (म्यूजिक by प्रियांशु सिंह) कहताड़े बाबूजी ना रहे देहब घर में कहताड़े बाबूजी ना रहे देहब घर में चार बेरी ओरहन आवेला दिने भर में हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में अरे हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में पढ़े के बेरा तऽ जाके घुमनी रहर में गिर गईल बानी अब ओकरो नजर में हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में अरे हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में (रडुवा कहात बानी शादी के उमर में) (माल के चक्कर में) (माल के चक्कर में, माल के चक्कर में) ओकरे ला पाप कईनी पाकिट मरनी बाप के गाली पऽ छाप अभी ले बा उनके थाप के की हम तऽ अपने ही घरवा में चोर भईनी बाटे कर्जा लदाईल कर्जखोर भईनी (कर्जखोर भईनी) की मन करे कूद जाई जाई के नहर में मन करे कूद जाई जाई के नहर में हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में अरे हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में (रडुवा कहात बानी शादी के उमर में) (माल के चक्कर में) (माल के चक्कर में, माल के चक्कर में) (माल के चक्कर में, माल के चक्कर में) आशु प्रियांशु के बिगाड़े में बा हाथ हो बरतावे खिस प्रिंस देले ना साथ हो भईले नीलकमल घर के ना घाट के अब तऽ मलियो भगाई देले डाँट के रडुवा कहात बानी शादी के उमर में रडुवा कहात बानी शादी के उमर में हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में अरे हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में (हो गईनी कंगाल हम तऽ माल के चक्कर में)