Shiv Dhun (Shiv Stuti Bhajan)
Pt Jasraj
10:37जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥ जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनी दुति गाता॥ देवी पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥ मोर मनोरथ जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥ कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहिं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥ बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मुरति मुसुकानि॥ सादर सियँ प्रसादु सर धरेऊ। बोली गैरी हरषु हियँ भरेऊ॥ सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥ नारद बचन सदा सूचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥ मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥ एही भाँती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियँ हरषीं अली। तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥