Panchamukhi Hanuman Raksha Kavach (Panchmukhi Kavach Stotra)
Piyush Kumar
4:10श्री पंचमुखि हनुमान चालीसा जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूरत सुजान। रामदूत रुद्रावतार, जय जय पंचमुखि हनुमान॥ जय पंचमुखि हनुमान, असुर संहारक राम दुलारे। रामलखन सीता सहित, रुद्रावतार महाबलि प्यारे॥ पूर्वमुख प्रताप तुम्हारा, संकट हरण मंगल दाता। भूत—प्रेत पिसाच नहिं आवे, नाम जपत सब कष्टु मिटावे। श्रद्धा सुमिरन जो जन करै, भवसागर सहजहि तरै। लंका जारि सुधि माता लाये, रामकाज त्वरित करि धाये। सिंधु लंघन अद्भुत लीला, रामदूत तुम नीति कपीला॥ पंचमुखि प्रताप अपारा, असुर निकंदन त्रिभुवन धारा। गरुड़मुख रक्षा करि भारी, नागपाश बन्धन सब टारी। नरसिंहमुख उग्र स्वरूपा, भक्त बचाव बनहु अनूपा। जो चालीसा सुमिरन गावै, सुख—सम्पत्ति निज घर पावै। अन्तकाल रघुपति पुर जाई, हनुमत कृपा मोक्ष सुख पाई॥ पंचमुखि हनुमान की, जो नित्य करे आराध। सकल मनोरथ सिद्ध हो, दूरि हों सब बाध॥ जय जय पंचमुखि हनुमान॥ जय जय पंचमुखि हनुमान॥ जय जय पंचमुखि हनुमान॥