Sunderkand
Prem Prakash Dubey
सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे हो मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे हो मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे धन्य कौशल्या धन्य कैकई धन्य सुमित्रा मैया धन्य सुमित्रा मैया धन्य भूप दशरथ जी के आंगन खेले चारो भैया मीठी तोतली रसीली प्रभु की वाणी लागे हो प्रभु की वाणी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे छोटी छावनी रंगमहल हनुमान गढ़ी अति सुन्दर हनुमान गढ़ी अति सुन्दर स्वयं जगत के मालिक बैठे कनक भवन के अंदर सीता राम जी की शोभा सुखदानी लागे हो सुखदानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सहज सुहावन जनम भूमि श्री रघुवर राम लला की श्री रघुवर राम लला की जानकी महल सूचि सुन्दर शोभा लक्ष्मण ज्यूत किला की यहाँ के कण कण से प्रीत पुरानी लागे हो प्रीत पुरानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे आयोध्या में जय सियाराम दंडवत भैया मधुरी वाणी बोले सब मधुरी वाणी बोले करे कीर्तन संत मगन मन गली गली मे डोले (हो) सीता राम नाम धुन प्यारीं मस्तानी लागे हो मस्तानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे प्रभु पद प्रेम प्राप्त करके सब पी कर श्री हरी रस को पी कर श्री हरी रस को जन ‘राजेश’ रहे नित निर्भय फिकर कहो क्या उसको (हो) जिसको मात पिता रघुराज सिया महारानी लागे सिया महारानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे हो रजधानी लागे मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे हो मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे हो मोहे मिठो मिठो सरयू जी को पानी लागे बोलिये अयोध्या धाम की, जय