Parvati Chalisa Superfast
Rahul Pathak
4:24पार्श्वनाथ भगवान की, मूरत चित बसाए ॥ भैरव चालीसा लिखू, गाता मन हरसाए ॥ नाकोडा भैरव सुखकारी, गुण गाये ये दुनिया सारी ॥ भैरव की महिमा अति भारी, भैरव नाम जपे नर नारी ॥ जिनवर के हैं आज्ञाकारी, श्रद्धा रखते समकित धारी ॥ प्रातःउठ जो भैरव ध्याता, ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता ॥ भैरव नाम जपे जो कोई, उस घर में निज मंगल होई ॥ नाकोडा लाखों नर आवे, श्रद्धा से परसाद चढावे ॥ भैरव–भैरव आन पुकारे, भक्तों के सब कष्ट निवारे ॥ भैरव दर्शन शक्ति–शाली, दर से कोई न जावे खाली ॥ जो नर नित उठ तुमको ध्यावे, भूत पास आने नहीं पावे ॥ डाकण छूमंतर हो जावे, दुष्ट देव आडे नहीं आवे ॥ मारवाड की दिव्य मणि हैं, हम सब के तो आप धणी हैं ॥ कल्पतरु है परतिख भैरव, इच्छित देता सबको भैरव ॥ आधि व्याधि सब दोष मिटावे, सुमिरत भैरव शान्ति पावे ॥ बाहर परदेशे जावे नर, नाम मंत्र भैरव का लेकर ॥ चोघडिया दूषण मिट जावे, काल राहु सब नाठा जावे ॥ परदेशा में नाम कमावे, धन बोरा में भरकर लावे ॥ तन में साता मन में साता, जो भैरव को नित्य मनाता ॥ मोटा डूंगर रा रहवासी, अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी ॥ जो नर भक्ति से गुण गासी, पावें नव रत्नों की राशि ॥ श्रद्धा से जो शीष झुकावे, भैरव अमृत रस बरसावे ॥ मिल जुल सब नर फेरे माला, दौड्या आवे बादल–काला ॥ वर्षा री झडिया बरसावे, धरती माँ री प्यास बुझावे ॥ अन्न–संपदा भर भर पावे, चारों ओर सुकाल बनावे ॥ भैरव है सच्चा रखवाला, दुश्मन मित्र बनाने वाला ॥ देश–देश में भैरव गाजे, खूटँ–खूटँ में डंका बाजे ॥ हो नहीं अपना जिनके कोई, भैरव सहायक उनके होई ॥ नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे, भैरव झट–पट दौडे आवे ॥ भूख्या नर की भूख मिटावे, प्यासे नर को नीर पिलावे ॥ इधर–उधर अब नहीं भटकना, भैरव के नित पाँव पकडना ॥ इच्छित संपदा आप मिलेगी, सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी ॥ भैरव गण खरतर के देवा, सेवा से पाते नर मेवा ॥ कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते, हुक्म–हाजिरी सदा बजाते ॥ ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव, कष्ट निवारक भोला भैरव ॥ नैन मूँद धुन रात लगावे, सपने में वो दर्शन पावे ॥ प्रश्नों के उत्तर झट मिलते, रस्ते के संकट सब मिटते ॥ नाकोडा भैरव नित ध्यावो, संकट मेटो मंगल पावो ॥ भैरव जपन्ता मालम–माला, बुझ जाती दुःखों की ज्वाला ॥ नित उठे जो चालीसा गावे, धन सुत से घर स्वर्ग बनावे ॥ भैरु चालीसा पढे, मन में श्रद्धा धार । कष्ट कटे महिमा बढे, संपदा होत अपार ॥ जिन कान्ति गुरुराज के,शिष्य मणिप्रभ राय । भैरव के सानिध्य में,ये चालीसा गाय ॥