Durga Kavach

Durga Kavach

Rajalakshmee Sanjay

Альбом: Durga Maa Songs
Длительность: 17:18
Год: 2020
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Текст песни

ॐ नमः चण्डिकाय

यह दुर्गा कवच अति ही पावन और दुर्लभ है
एक सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी और मार्कण्डेय ऋषि का संवाद है
कहते हैं, ये कवच देवताओं के लिए भी दुर्लभ है
रोग, मारण, मोहन, उचाटन, भूत-प्रेत, पिशाच
सब इस कवच के शब्द सुनकर भाग जाते हैं

देवी कवच दुर्गा-भक्तों को कवच की तरह रक्षा करता है
महादेवी दुर्गा की स्तुति सुनकर सारे बँधन
मन से सभी प्रकार के डर और भय समाप्त हो जाते हैं
सारी सिद्धियाँ भी देवी माता से प्राप्त होती हैं

देवियों के नौ स्वरूप हैं, नौ नाम हैं
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा
देवी कूष्माण्डा, देवी स्कंदमाता, कात्यायनी देवी
कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री कहलाती है

नौ रात्रि में इन्हीं नौ देवियों की पूजा की जाती है
सभी देवियाँ मनुष्य के कल्याण के लिए धरती पर आती हैं
माता के भक्त घर में कलश स्थापित करके माता की प्रतीमा की स्थापना करते हैं
एवं भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन करते हैं

ਜੈ ਮਾਤਾ ਦੀ

ऋषि मार्कण्डेय ने पूछा जभी
दया करके ब्रह्मा जी बोले तभी
के "जो गुप्त मंत्र है संसार में
है सब शक्तियाँ जिसके अधिकार में

हर एक का जो कर सकता उपकार है
जिसे जपने से बेड़ा ही पार है
पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का
जो हर काम पूरे करे सवाली का

सुनो मार्कण्डेय, मैं समझाता हूँ
मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ
कवच की मैं सुंदर चौपाई बना
जो अत्यंत है गुप्त देऊ बता

नवदुर्गा का कवच ये पढ़े जो मनचित लाए
उसपे किसी प्रकार का कभी कष्ट ना आए"

कहो, जय, जय, जय महारानी की
जय दुर्गा अष्ट भवानी की
कहो, जय, जय, जय महारानी की
जय दुर्गा अष्ट भवानी की

पहली शैलपुत्री कहलावे
दूसरी ब्रह्मचारिणी मनभावे
तीसरी चन्द्रघण्टा शुभ नाम
चौथी कूष्माण्डा सुखधाम

पाँचवी देवी स्कंदमाता
छठी कात्यायनी विख्याता
सातवीं कालरात्रि महामाया
आठवीं महागौरी जगजाया

नौवी सिद्धिदात्री जगजानी
नवदुर्गा के नाम बखानी
महा संकट में, बन में, रण में
रोग कोई उपजे निज तन में

महाविपती में, व्योहार में
मान चाहे जो राज दरबार में
शक्ति कवच को सुनी-सुनाए
मनोकामना सिद्धी नर पाए

चामुण्डा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार
बैल चढ़ी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार

कहो, जय, जय, जय महारानी की
जय दुर्गा अष्ट भवानी की
कहो, जय, जय, जय महारानी की
जय दुर्गा अष्ट भवानी की

हँस सवारी वाराही की
मोर चढ़ी दुर्गा कौमारी
लक्ष्मी देवी कमल आसीना
ब्राह्मी हँस चढ़ी ले वीणा

ईश्वरी सदा बैल सवारी
भक्तन की करती रखवारी
शंख, चक्र, शक्ति, त्रिशूला
हल, मूसल, कर कमल के फूला

दैत्य नाश करने के कारण
रूप अनेक हैं कीन्हें धारण
बार-बार मैं शीश नवाऊँ
जगदम्बे के गुण को गाऊँ

कष्ट निवारण बलशाली माँ
दुष्ट संहारण महाकाली माँ
कोटि-कोटि, माता, प्रणाम
पूरण कीजो मेरे काम

दया करो, बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ
चमन की रक्षा करो सदा, सिंह चढ़ी, माँ, आओ

कहो, जय, जय, जय महारानी की
जय दुर्गा अष्ट भवानी की
कहो, जय, जय, जय महारानी की
जय दुर्गा अष्ट भवानी की

अग्नि से अग्नि देवता
पूरब दिशा में ऐन्द्री
दक्षिण में वाराही मेरी
नैऋत्य में खड्गधारिणी

वायु से मामृग वाहिनी
पश्चिम में देवी वरूणी
उत्तर में माँ कौमारी जी
ईशान में शूलधारिणी

ब्रह्माणी माता अर्श पर
माँ वैष्णवी इस फर्श पर
चामुण्डा दसों दिशाओं में
हर कष्ट तुम मेरा हरो

संसार में माता मेरी
रक्षा करो, रक्षा करो
सन्मुख मेरे देवी जया
पाछे हो माता विजया

अजीता खड़ी बाएँ मेरे
अपराजिता दाएँ मेरे
उद्योदिनी माँ शिखा की
माँ उमा देवी सिर की ही

मालाधरी ललाट की
और भृकुटी की माँ यशस्विनी
भृकुटी के मध्य त्रयनेत्रा
यमघण्टा दोनों नासिका

काली कपोलों की, कंठ
मूलों की माता शंकरी
नासिका में अंश अपना
माँ सुगंधा, तुम धरो

संसार में माता मेरी
रक्षा करो, रक्षा करो
ऊपर व नीचे होंठों की
माँ चर्चिका अमृत कली

जिह्वा की माता सरस्वती
दाँतों की कौमारी सती
इस कंठ की माँ चण्डिका
और चित्रघंटा घंटी की

कामाक्षी माता ठोड़ी की
माँ मंगला इस वाणी की
ग्रीह्वा की भद्रकाली माँ
रक्षा करे बलशाली माँ

दोनों भुजाओं के मेरे
रक्षा करे धनुर्धारिणी
दो हाथों के सब अँगों की
रक्षा करे जगतारिणी

शूलेश्वरी कूलेश्वरी
महादेवी शोक विनाशिनी
छाती, स्तनों और कंधों की
रक्षा करे जगवासिनी

हृदय, उदर और नाभि की
कटि भाग के सब अँग की
गुह्यीश्वरी माँ पूतना
जग जगननी श्यामा रंग की

घुटनों, जंघाओं की करे
रक्षा वो विंध्यवासिनी
टकनों व पाँवों की करे
रक्षा वो शिव की दासिनी

रक्त, मास और हड्डियों से जो बना शरीर
आँतों और पित्त, वात में भरा अग्न और नीर

बल-बुद्धि, अहंकार और प्राण वो पाप समान
सत, रज, तम के गुणों में फँसी है यह जान
धार अनेकों रूप ही, रक्षा करियो आन
तेरी कृपा से ही, ए माँ, चमन का है कल्याण

आयु, यश और कीर्ति, धन, संपत्ति, परिवार
ब्रह्माणि और लक्ष्मी, पार्वती जग तार
विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल
दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल

भैरवी मेरी भार्या की रक्षी करो हमेश
मान राज दरबार में देवें सदा नरेश
यात्रा में दुख कोई ना मेरे सिर पर आए
कवच तुम्हारा हर जगह मेरी करे सहाय

हे जग जगननी, कर दया, इतना दो वरदान
लिखा तुम्हारा कवच ये, पढ़े जो निश्चय मान
मनवांछित फल पाए वो, मंगल मूर्त बसाए
कवच तुम्हार पढ़ते ही नवनिधि घर में आए

ब्रह्मा जी बोले, "सुनो, मार्कण्डेय
यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया
रहा आज तक था गुप्त भेद सारा
जगत की भलाई को मैंने बताया"

सभी शक्तियाँ जग की करके एकत्रित
है मिट्टी की देह को इसे पहनाया
चमन, जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो
सुना तो भी मुँह माँगा वरदान पाया

जो संसार में अपने मंगल को चाहे
तो हर-दम कवच यही गाता चला जा
बियाबान जंगल दिशाओं दसों में
तू शक्ति की जय-जय मनाता चला जा

तू जल में, तू थल में, तू अग्नि, पवन में
कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा
निडर हो, विचर जहाँ मन तेरा चाहे
चमन, कदम आगे बढ़ाता चला जा

तेरा मन धन-धान्य इससे बढ़ेगा
तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए
यही मंत्र, यंत्र, यही तंत्र तेरा
यही तेरी सिर से हर संकट हटाए

यही भूत और प्रेत के भय का नाशक
यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाए
इसे नित्य प्रति चमन श्रद्धा से पढ़कर
जो चाहे तो मुँह माँगा वरदान पाए

इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढ़े
कृपा से आदि भवानी की बल और बुद्धि बढ़े
श्रद्धा से जपता रहे जगदम्बे का नाम
सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुख धाम

कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादान
तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण