Sankat Mochan Hanuman-Lofi
Rasraj Ji Maharaj
4:11निश्चय प्रेम प्रतीति ते विनय करै सनमान तेहि के कारज सकल शुभ सिद्ध करे हनुमान जय हनुमन्त सन्त हितकारी सुनि लीजै प्रभु अर्ज हमारी जन के काज विलम्ब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दीजै जैसे कूदि सिन्धु के पारा सुरसा बदन पैठि बिस्तारा आगे जाय लंकिनी रोका मारेहु लात गई सुर लोका जाय विभीषण को सुख दीन्हा सीता निरखि परम पद लीन्हा बाग उजारि सिन्धु महं बोरा अति आतुर जम कातर तोरा अक्षय कुमार मारि संहारा लूम लपेटि लंक को जारा लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुर पुर नभ भई अब विलम्ब केहि कारण स्वामी कृपा करहुं उर अन्तर्यामी जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता आतुर होइ दु:ख करहुं निपाता जय गिरिधर जय जय सुर सागर सुर समूह समरथ भटनागर ॐ हनु हनु हनुमन्त हठीले बैरिहिं मारू वज्र की कीले गदा बज्र लै बैरिहिं मारो महाराज प्रभु दास उबारो ऊँकार हुंकार प्रभु धावो बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा सत्य होहु हरि शपथ पाय के रामदूत धरु मारु जाय के जय जय जय हनुमन्त अगाधा दुःख पावत जन केहि अपराधा पूजा जप तप नेम अचारा नहिं जानत हौं दास तुम्हारा वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं पांय परों कर ज़ोरि मनावौं यहि अवसर अब केहि गोहरावौं जय अंजनिकुमार बलवन्ता शंकरसुवन वीर हनुमन्ता बदन कराल काल कुल घालक राम सहाय सदा प्रतिपालक भूत प्रेत पिशाच निशाचर अग्नि बेताल काल मारी मर इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की राखु नाथ मरजाद नाम की जनकसुता हरिदास कहावौ ताकी शपथ विलम्ब न लावो जय जय जय धुनि होत अकाशा सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ यहि अवसर अब केहि गोहरावौं उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई पांय परों कर ज़ोरि मनाई ॐ चं चं चं चं चपत चलंता ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल अपने जन को तुरत उबारो सुमिरत होय आनन्द हमारो यह बजरंग बाण जेहि मारै ताहि कहो फिर कौन उबारै पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की यह बजरंग बाण जो जापै ताते भूत प्रेत सब काँपै धूप देय अरु जपै हमेशा ताके तन नहिं रहै कलेशा जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय हनुमान जय जय हनुमान प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान