Geeta Gyan 4 - Man Hai Sharir Ke Rath Ka Sarthi
Ravindra Jain
2:59जो ही देने को चले प्रभु अर्जुन को ज्ञान कुरुक्षेत्र पर हो गया केंद्रित सबका ध्यान केंद्रित सबका ध्यान ब्रह्मा जागे नारद चौके त्रिभुवन में कौतूहल जागा चारों दिशाएं सचेत हुई धरती पर ध्यान सभी का लागा गीता के महाज्ञान श्रवण को गीता के महाज्ञान श्रवण को शिव ने ध्यान समाधि से त्यागा गीता के महाज्ञान श्रवण को शिव ने ध्यान समाधि से त्यागा इक अर्जुन के निमित्त मिलेगा ज्ञानामृत सबको बिन मांगा इक अर्जुन के निमित्त मिलेगा ज्ञानामृत सबको बिन मांगा हे अर्जुन किस हेतु बता तू असमय मोह को प्राप्त हुआ है वीरोचित है न आर्योचित जो शोक तेरे मन व्याप्त हुआ है स्वर्ग मिलेगा न कीर्ति बढ़ेगी स्वर्ग मिलेगा न कीर्ति बढ़ेगी क्या यह बोध समाप्त हुआ है स्वर्ग मिलेगा न कीर्ति बढ़ेगी क्या यह बोध समाप्त हुआ है धर्म के युद्ध को शस्त्र उठा के महासंग्राम तेरा मग जो है धर्म के युद्ध को शस्त्र उठा के महासंग्राम तेरा मग जो है