Shri Krishna Govind Hare Murari
Ravindra Jain
8:56कान्हा रे थोडा सा प्यार दे चरणों में बैठा के तार दे ओ गोरी, घूंघट उतार दे प्रेम की भिक्षा झोली में दार दे कान्हा रे थोडा सा प्यार दे चरणों में बैठा के तार दे प्रेम गली में आके गुजरिया भूल गई रे घर की डगरिया जब तक साधन, तन मन जीवन सब तुझे अर्पण, प्यारे सांवरिया माया का तुमने रंग ऐसा डाला बंधन में बंध गया बांधने वाला कौन रमा पति, कैसा ईश्वर मै तो हु गोकुल का ग्वाला ग्वाला रे थोडा सा प्यार दे ग्वालिन का जीवन संवार दे आत्मा-परमात्मा के मिलन का मधु मास है यही महारास है, यही महारास है त्रिभुवन का स्वामी, भक्तों का दास है यही महारास है, यही महारास है कृष्ण कमल है, राधे सुवास है यही महारास है, यही महारास है ओ इसके अवलोकन की युग युग को प्यास है यही महारास है, यही महारास है कान्हा रे थोडा सा प्यार दे चरणों मे बैठा के तार दे तू झूठा, वचन तेरे झूठे मुस्का के भोली राधा को लूटे मैं भी हूँ सच्चा, वचन मेरे सच्चे प्रीत मेरी पक्की, तुम्हारे मन कच्चे जैसे तू रखें, वैसे रहूंगी दूँगी परीक्षा पीड़ सहूँगी स्वर्गों के सुख भी मीठे ना लागे तू मिल जाये तो मोक्ष नाहीं मांगे कान्हा रे थोडा सा प्यार दे चरणों मे बैठा के तार दे सृष्टि के कण कण में इसका आभास है यही महारास है, यही महारास है हो तारो में नर्तन, फुलोन में उल्हास है यही महारास है, यही महारास है मुरली की प्रतीद्वनी, दिशाओ के पास है यही महारास है, यही महारास है हो अध्यात्मिक चेतना का सब में विकास है यही महारास है, यही महारास है