Raat Kali Ek Khwab Mein Aai
Rupak Mehta
4:53मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ना ठिकाना ह्म्म हम्म हे मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ना ठिकाना मुझे चलते जाना है बस चलते जाना मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ना ठिकाना मुझे चलते जाना है बस चलते जाना एक राह रुक गयी तो और जुड़ गयी मैं मुडा तो साथ साथ राह मुड गयी हवा के परों पर मेरा आशियाना मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ना ठिकाना मुझे चलते जाना है बस चलते जाना दिन ने हाथ थाम कर इधर बिठा लिया रात ने इशारे से उधर बुला लिया सुबह से शाम से मेरा दोस्ताना मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ना ठिकाना मुझे चलते जाना है बस चलते जाना मुसाफिर हूँ यारो ना घर है ना ठिकाना मुझे चलते जाना है बस चलते जाना