Mujhe Bansuri Ke Kanha
Sanatana Sankirtan
7:38छवि लगी मन श्याम की जब से भई बावरी मैं तो तब से बाँधी प्रेम की डोर मोहन से नाता तोड़ा मैंने जग से ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने ओ ओ ओ ओ हो मोहन की सुन्दर सूरतिया मन में बस गयी मोहनी मूरतिया जब से ओढ़ी श्याम चुनरिया लोग कहे मैं तो भई बावरिया मैंने छोड़ी जग की रीत ये दुनिया क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने क्या जाने क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने हो मोहन ने ऐसी बंसी बजायी गोप गोपियां दौड़ी चली आई सब ने अपनी सुध बिसराई लोक लाज कुछ काम न आई फिर बाज उठा संगीत ये दुनिया क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने क्या जाने क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने