Ban Ja Wo Diya
Shrinidhi Ghatate
3:58किरनों से छूके ढलती है रात पर रात में है कुछ बात खामोशियों में जीने की आदत सी हो गई वक्त को ढलने की जल्दबाज़ी हो गई रातों के अंधेरे में कुछ ग़म भी बाटें टूटें रिश्तों से जोड़े आसमा में लकीरें वक्त ही चल रहा हम यही थम रहें समा है रात का समा है बात का मदहोशियाँ खामोशियाँ समा है रात का समा है बात का मदहोशियाँ खामोशियाँ बहती हवाएँ जाने कहाँ जाती है कोई तो उसे पुकारता है वैसे खामोशी मुझे यूँ पुकारती शिकायतें उसे है कई समा है रात का समा है बात का मदहोशियाँ खामोशियाँ समा है रात का समा है बात का मदहोशियाँ खामोशियाँ