303 Freestyle
Talhah Yunus
2:47फ़ासले बढ़ते गये चेहरे ये पढ़ते रहे बाहों में लिए इन ख्वाबों को इन काँटों पे चलते रहे ज़ख़्म खुद भरते रहे लहरों से करते गीले डूबे है सिर्फ़ तेरी खातिर हम वो जाम आयेज करते रहे लहज़े तो काफ़ी हैं शायद तेरे आदि हैं समंदर ये लफ़्ज़ों का जैसे वो बहते हुए साक़ी हैं तू लहू भी राग राग से वाक़िफ़ भी जज़्बे रघबात से ताक़त भी हिक़मत भी है और नज़ाकत भी नज़ाने तू कितनो की चाहत थी मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी लगे सब बनावटी ले डूबी ये चाहत ही मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी ले डूबी ये चाहत ही मुझे तेरी आदत सी क्या ये जशन मेरी हार का है सारे लोग मुझसे खार खाए क्या ये ख्वाहिशों का मार्का है या असर तेरा ज़हर का है वोही गीले वोही शिकवे बेक़ारारी जब ना दिखते तेरे हुस्न की तारीफों मैं ही बिखरे दिल काश दिल नशीन क्या क्या लिखते शमैन आधी हो चुकी, वो बातें याद रही क्या करूँ तेरे लिए मैं बात बड़ी दिन तो गुज़र जाते लगती हर एक रात बड़ी जलाते हैं इस ज़माने को वो आग भारी ाश्क़ों से दरिया ये भर गये समझे हम लहरों से दर गये ना चाहते हुए भी बिच्छाद गये फिर से तुम मुँह पे मुक़र गये मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी लगे सब बनावटी ले डूबी ये चाहत ही मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी ले डूबी ये चाहत ही मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी लगे सब बनावटी ले डूबी ये चाहत ही मुझे तेरी आदत सी मुझे तेरी आदत सी ले डूबी ये चाहत ही मुझे तेरी आदत सी