Qayamat Qareeb Hain
Tasneem Arif
17:46वसी अनवार है काजी रियासत शाहे बतहा की वसी अनवार है काजी रियासत शाहे बतहा की जमी से आसमा तक है हुकूमत शाहे बतहा की जमी से आसमा तक है हुकूमत शाहे बतहा की जमी से आसमा तक है हुकूमत शाहे बतहा की वासी अनवार है काजी रियासत शाहे बतहा की वसी अनवार है काजी रियासत शाहे बतहा की वसी अनवार है काजी रियासत शाहे बतहा की जमी से आसमा तक है हुकूमत शाहे बतहा की जमी से आसमा तक है हुकूमत शाहे बतहा की जमी से आसमा तक है हुकूमत शाहे बतहा की सुनो ए मोमिनो ये वाक्या शक्कुल कमर का है हबीबे किब्रिया मुख्तार उल खेरुल बशर का है नबूबत का किया ऐलान जिस दम मेरे आका ने तो ढहाया जुलम उन पर बेपनाह सब एहले मक्का ने कभी ऊँटो की सर पर बोजेहड़ी डाली गई ला कर कभी गर्दन में चादर डाल के खिंचा गया अक्सर कभी सरकार को सजदे की हालत में सताया है कभी पागल कभी दीवाना जादूगर बतया है बिछाये राह में कांटे बहुत और संद बारी की नबी ने सब्र फ़रमाया सभी से गम गुजारी के सितम की बदलिया बरसी जमी सैराब कर डाली सभी खुश थे की मछली हम थे अब बेआब कर डाली मगर जिस पर खुदा की रहमतो का अबर छाया हो वो हरगिज मिट नहीं सकता जो हक़ के साथ आया हो नबी के काविशों से समां ये इस्लाम जल उठी सजर पर साखे दिने रब मचल कर फूल फल उठी कलेजा चीर डाला सब्र से जब जुल्मे बेहद का कलेजा चीर डाला सब्र से जब जुल्मे बेहद का कलेजा चीर डाला सब्र से जब जुल्मे बेहद का खुदा के फजल से लहरा गया झंडा मोहम्मद का खुदा के फजल से लहरा गया झंडा मोहम्मद का खुदा के फजल से लहरा गया झंडा मोहम्मद का जो देखा मजहबे इस्लाम का चर्चा तो घबराये सभी गुफार फिर गुज हिल के साथ में आये हसद की आग से दिल अपना अपना भर लिया सबने उसी दम इत्तिफाकन राय से तय कर लिया सब ने यमन से अब हबीबे यमनी को बुलवाइए जल्दी यहां से हाल से आगाह उसे फरमाइए जल्दी है मक्का शहर पे छाया हुआ गहरा असर उसका वो समझाए तो फिर माने हुकुम सारा शहर उसका यक़ीनन छोड़ देगा दामने इस्लाम हर बच्चा हुबल का लात का ऊजा का लेगा नाम हर बच्चा रवाना कर दिया खत शहर की हालत रकम कर के मिला जब खत हबीबे यामिनी को बोला कलम कर के बड़े अरसे में उसको मक्के वालो ने बुलाया था इसी बाइस इस ख़ुशी का आँख ने दरिया बहाया था वो खत पढ़ते ही घर से बद ख्यालो को चला ले कर नबी को आजमाए दो सवालों को चला ले कर हुआ मक्के में उसका दाखिला इस शानो शोककत से हुआ मक्के में उसका दाखिला इस शानो शोककत से हुआ मक्के में उसका दाखिला इस शानो शोककत से सभी गुफार मक्का पेश आये खूब उल्फत से सभी गुफार मक्का पेश आये खूब उल्फत से सभी गुफार मक्का पेश आये खूब उल्फत से हबीबे यमनी के घर पर अपाहिज एक लड़की थी वो थी कानो से बहरी और वो आँखों से अंधी थी सलामत उसके पांव ना थे चला फिर ना सकती थी बनी थे बोझ वो उसके लिए बस बैठी रहती थी कोई पानी पीला देता कोई खाना खिला देता कोई घर पर ना होता वक्त भूखा ही सुला देता परेशानी थी पूरी जिंदगी उसकी जहनम थी शिकायत उसको किस्मत से थी हर दम आँख पुर नम थी ये मजबूरी और लाचारी उसे बेहद सताती थी मगर हमा उसे दामाने उल्फत में सुलाती थी दिलाशा बाप देता था मगर कुछ कर ना पाता था तो अपनी बेबसी पर खून के आंसू बहाता था हबीब उन दो सवालों को जो ले कर आ गया मक्का की उनमे एक था की मोजिज़ा मै उनका देखूंगा सवाल उसका था की दोयम हालते दुखकार मै पूछूंगा बताया जो मुझे सच्च सच्च कभी दामन ना छोडूंगा खबर जब बुजाहिल जालिम ने पायी उसके आने की खबर जब बुजाहिल जालिम ने पायी उसके आने की खबर जब बुजाहिल जालिम ने पायी उसके आने की जबा तजबीज फ़ौरन की गयी उसके ठिकाने की जबा तजबीज फ़ौरन की गयी उसके ठिकाने की जबा तजबीज फ़ौरन की गयी उसके ठिकाने की बड़ी खातिर तबाजिब की शहर का हाल बतलाया अचानक दीने हक बढ़ना बूत का काल बतलाया बहुत बाते कही गुफ्फ़ार ने अपनी जवा खम की बुराई की बहुत ने सहेंशा हे दो आलम की कहा ये बुजाहिल ने देखा एक दिन यही होगा धर्म मिट जायेगा अपना फकत इस्लाम ही होगा बड़े एहसान है तेरे अभी भीं मक्के वालो पर झुका लेंगे ये अपनी गर्दन तेरे सवालो पर जो तू इनसे कहे तो दामने इस्लाम छोड़ेंगे मोहम्मद और उसके दीं से मुँह अपना मोड़ेंगे हबीबे यमनी बोला आपका सब सुन लिया किस्सा सुनुँगा अब जनाबे आमना के लाला का किस्सा जरा देखूं वो है कैसे सुना है खूबसूरत हैं बहारे उन पे हैं कुर्बान जमाने की जरुरत हैं ये सुन कर डर गया वो बुझाहील खामोश था जालिम शरारत थी बसी रग रग में और बा होश था जालिम हबीब उस वक्त जो सरकार की तारीफ करता था हबीब उस वक्त जो सरकार की तारीफ करता था तो सुन कर बुजाहिल दिल में हश्द की आग भरता था तो सुन कर बुजाहिल दिल में हश्द की आग भरता था तो सुन कर बुजाहिल दिल में हश्द की आग भरता था खबर भेजी ये आका के लिए मै मिलने आया हूँ सवाल खास कुछ यमन से दिल में ले के आया हूँ सवालो का जबाब आकर अब आप मेरे आ कर दे जाए मेहरबानी हो जो इसरात में तसरीफ में आएं खबर पा कर कहा सरकार ने अच्छा मै आऊंगा मै अपने इक सहाबी को भी अपने साथ लाऊंगा जनाबे बुबकर को साथ ले कर आप जब आये तो अल्लाह पाक ने उन पर ख़ुशी के फूल बरसाए सभी हाजित थे खुश हाय रब और खूब मजमा था गए जब आप उस महफ़िल में एक दम छाया सनाटा झुकाये सर हुए मगरूब कोई भी है बोला हबीबे यमनी से खुद सरबरे आलम ने ये पूछा बताओ किस लिए उन रात में मुझको बुलाया है तो घबरा कर वो बोला मेहर का कमतर पे साया है सुना है मैंने हजरत को नबी होने का दावा है नबी हो अगर खुदा के तुम तुम्हरा मोजिज़ा क्या है दिखाओ मोजिज़ा कोई नबी हम मान जायेंगे दिखाओ मोजिज़ा कोई नबी हम मान जायेंगे दिखाओ मोजिज़ा कोई नबी हम मान जायेंगे खुदा पर और तुम पर हम अभी ईमान लाएंगे खुदा पर और तुम पर हम अभी ईमान लाएंगे खुदा पर और तुम पर हम अभी ईमान लाएंगे कहा आका ने जो चाहो वही है मोजिज़ा मेरा वो बोला ठीक है सुनिए दिली है मुदा मेरा चमकता है फलक पर चाँद उसके टुकड़े कर दीजे उन्ही टुकड़ो ला कर फिर एक जगह उसके कर दिए इशारा जब अंगुस्ते पाक से हजरत ने फ़रमाया चमकता आसमा पर चाँद दो टुकड़े नजर आया हुआ टुकड़े वो टुकड़े देखता था ये जहां उसके पहाड़ी की हद की देखि गयी फिर दर्मिया उसके सभी घबरा गए बोले कयामत हो गई कायम कमर टुकड़े हुआ अफ़सोस जहमत हो गई कायम इशारा फिर किया तो दोनों टुकड़े मिल गए आ कर उठा जल्दी से भगा बुजाहिल ये जादू बतला कर भली तकदीर थी जिनकी उठा कर शान ले आये पढ़ा कलमा मोहम्मद का सभी ईमान ले आये ये बोले मुस्तफा कहिये सवाल अब दूसरा क्या है मै खुद तुम को बताता हु तुम्हारा मुदा क्या है चले जाओ वतन अपने जबाब उसका भी पाओगे चले जाओ वतन अपने जबाब उसका भी पाओगे चले जाओ वतन अपने जबाब उसका भी पाओगे ख़ुशी हासिल तुम्हे होगी ख़ुशी के गीत गाओगे ख़ुशी हासिल तुम्हे होगी ख़ुशी के गीत गाओगे ख़ुशी हासिल तुम्हे होगी ख़ुशी के गीत गाओगे गया घर पर हबीब और जा के दस्तक दी परेशां था उसी लड़की ने खोला घर का दरवाजा वो हैरान था जो लड़की कल तलक मजूर थी चल फिर ना सकती थी बड़ी हैरत थी वो अचानक कैसे हो गई अच्छी कहा बेटी बोली मै एक रात सोई थी ज़माने को भुला कर ख्वाब के आलम में खोयी थी याक यक चाँद सा चेहरा सिया जुल्फे नजर आयी की उनके देखते ही बाप मेरी आंख भर आयी वो बोले बाप ने तेरे मक्के में पढ़ लिया कलमा यमन में रह के पढ़ तू मझहवे इस्लाम का कलमा पढ़ा कलमा तो अपना हाथ मेरे जिस्म पर फेरा सभी दुःख दर्द गायब हो गए चेहरा खिला मेरा ख़ुशी से झूम उठा शुक्र के सजदे किये रब को नबी तसरीफ घर लाये मुबारक बाद दी सबको हबीबे यमनी के घर में चिरागे दीं जल उठा दिलो में फिर सभी के जज्बा के इमाम मचल उठा मेरे सरकार का अनवार दो आलम पे साया है मेरे सरकार का अनवार दो आलम पे साया है मेरे सरकार का अनवार दो आलम पे साया है सरापा मोजिज़ा अल्लाह ने उनको बनाया है सरापा मोजिज़ा अल्लाह ने उनको बनाया है